महिला निःसंतानता का प्रमुख कारण पीसीओएस
कारण, लक्षण और इलाज
कुछ वर्षों से पहले तक पुरूष बाहर काम करते थे और महिलाएं घर काम संभालती थी लेकिन समय के साथ महिलाएं घर के कामों के साथ बाहर नौकरी भी करने लगी हैं । पुरूषों के समान बड़े- बड़े पदों पर जिम्मेदारियां निभा रही हैं। पारिवारिक कामों और नौकरी के बीच तालमेल रखने के दौरान वो खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती हैं। स्वास्थ्य की अनदेखी, बाहर का अस्वास्थ्यकर भोजन, बेवक्त भोजन, खराब लाइफस्टाइल और स्ट्रेस के कारण महिलाएं कई तरह की बीमारियों से प्रभावित होने लगी हैं। जिसमें कैंसर, हृदय रोग, अर्थराईटिस और पीसीओएस शामिल हैं। पीसीओएस के कारण निःसंतानता के केसेज बढ़ते जा रहे हैं, इसमे ओव्युलेशन नहीं होने के कारण गर्भधारण में कठिनाई होती है।
पीसीओएस पिछले कुछ वर्षों में तेजी बढ़ने वाली महिलाओं से संबंधित समस्याओं में से एक है। यह समस्या कम उम्र की महिलाओं में भी देखने को मिल रही है। इसमें महिला की ओवरी में गांठे बन जाती हैं। ये बीमारी जैनेटिक भी हो सकती है।
कम उम्र में पीसीओएस - पॉलिसिस्टिक ओवरी सिन्ड्रोम फिमेल्स में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली समस्या है। एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के अधिक स्तर से होने वाला विकार हैं। आजकल कम उम्र की महिलाओं और युवतियों में अनियमित माहवारी की समस्या आम हो गयी है। ये एंडोक्राइन से जुड़ी स्थिति है जिसमें महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन या मेल हॉर्मोन की अधिकता होने लगती है । इस कारण शरीर में हार्मोन का अंसतुलन हो जाता है जिससे अण्डों के विकास पर असर पड़ता है। पीसीओएस के कारण ओव्युलेशन और माहवारी में बाधा हो सकती है।
पीसीओएस को 18 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में आम हार्मोनल समस्या माना जाता है। 10 में से एक महिला को पीसीओडी के कारण निःसंतानता की समस्या हो सकती है। यदि कोई महिला अपर्याप्त ओव्युलेशन के कारण निःसंतान है, तो पीसीओडी प्रमुख कारण हो सकता है।
उदयपुर के ख्यातनाम स्पर्श वुमन्स हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. मोनिका शर्मा ने बताया कि पीसीओएस के कुछ सामान्य लक्षण निम्न हो सकते हैं-
1. पीरियड से जुड़ी समस्याएं - महिला को एक वर्ष में नौ माहवारी से कम आना (ऑलिगोमेनोरिया) या लगातार 3 या अधिक महीनों तक पीरियड नहीं आना (एमेनोरिया) ।
2. इनफर्टिलिटी - यह अण्डोत्सर्ग यानि ओव्युलेशन से नहीं होने या उसकी कमी के कारण होती है।
3. मस्कुलिनिंग हार्मोन का उच्च स्तर - मुँहासे के साथ-साथ चेहरे (ठोड़ी) व शरीर (ऊपरी हिस्से) पर अनचाहे बाल का विकास इसके अलावा अनियमित व लम्बा मासिक धर्म, बालों का पतला होना या बालों का झड़ना आदि ।
4. वजन बढ़ना- इंसुलिन रेजिस्टेंस से संबंधित वजन की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पीसीओएस के कारण अचानक वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।
पीसीओएस के कारण
पीसीओएस के मेडिकल कारणों के साथ वंशानुगत के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसमें बदलती लाईफस्टाइल, खराब खानपान, एक्सरसाइज की कमी आदि भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।
मेडिकल जांच
ओवुलेशन संबंधी समस्याएं, अधिक एण्ड्रोजन स्तर के बारे में पता लगाया जा सकता है साथ ही आवेरियन सिस्ट के बारे में अल्ट्रासाउंड के द्वारा जानकारी मिल सकती है।
पीसीओएस का उपचार व आहार
डॉ. मोनिका शर्मा बताती हैं कि पीसीओएस से बचाव व उपचार में जीवनशैली में बदलाव जैसे वजन कम करना तथा व्यायाम को शामिल किया जा सकता है। मेटफोर्मिन और एंटी-एण्ड्रोजन भी सहायक साबित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त मुँहासे व अनचाहे बाल हटाने का उपचार लिया जा सकता है। प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए वजन का नियन्त्रण में लाना यानि अधिक वजन को कम करना तथा क्लोमीफीन या मेटफॉर्मिन शामिल हैं। जिन महिलाओं को इनमें सफलता नहीं मिलती वे आईवीएफ का सहारा ले सकती हैं। पीसीओएस का संबंध मोटापे या अधिक वजन से है तो वजन कम करने के लिए कम जीआई वाला आहार जिसमें सब्जियां, ताजे फल, साबूत अनाज तथा अधिक पेय का सेवन शामिल हैं।
पीसीओएस और निःसंतानता
महिलाओं में ओव्यूलेशन नहीं होना या अनियमित ओव्यूलेशन निःसंतानता का सबसे बड़ा कारण है।अन्य कारणों में गोनैडोट्रोपिन में बदलाव परिवर्तन, हाइपरएंड्रोजेनिमिया के साथ-साथ हाइपरिन्सुलिनमिया भी शामिल है। आमतौर पर पीसीओएस में सर्जिकल उपचार को शामिल नहीं किया जाता हे। पॉलिसिस्टिक ओवरी का उपचार लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से किया जा सकता है जिसे आवेरियन ड्रिलिंग के रूप में जाना जाता है। ये नैचुरल ओव्यूलेशन या ओव्यूलेशन को पुनः बहाल करने के लिए किया जाता है
पीसीओएस की स्थिति में गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। आजकल कम उम्र की कई महिलाओ में पीसीओएस के कारण निःसंतानता की समस्या सामने आ रही है। यदि कोई महिला गर्भधारण का प्रयास कर रही है तो फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए चिकित्सक की सलाह पर ओव्युलेशन इंडोस्टर क्लोमीफीन या लेट्रोजोल दवाओं का उपयोग कर सकती हैं। जब भी मेटफार्मिन को क्लोमीफीन के सहयोग से लिया जाता है प्रजनन क्षमता को लाभ हो सकता है।
पीसीओएस से प्रभावित महिला मेडिकल उपचार के साथ जीवनशैली में बदलाव करके उचित जीवन व्यतीत कर सकती हैं। जो महिलाएं गर्भधारण में विफल हैं वे एक्सपर्ट डॉक्टर से कन्सल्ट कर आईवीएफ को अपना सकती हैं। पीसीओएस के केसेज में यह गर्भधारण के लिए सफल तकनीक साबित हो रही है।
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