आईवीएफ प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी

आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) क्या है?

आईवीएफ,यानी की इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, उन दंपतियों के लिए एक बड़ी उम्मीद है जो बांझपन का सामना कर रहे हैं। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है, और फिर परिणामस्वरूप बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए एक समाधान प्रदान करती है, जो प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

आईवीएफ प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी

आईवीएफ प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित होती है, जिसमें हर चरण का अपना महत्व होता है। यह प्रक्रिया जटिल होती है, लेकिन एक सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न होती है।

1. अंडाणु उत्पादन को प्रेरित करना (Ovulation Induction)

इस चरण में, महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे वह एक साथ कई अंडाणु उत्पन्न कर सके। आमतौर पर, एक महिला के शरीर में हर महीने एक अंडाणु बनता है, लेकिन आईवीएफ प्रक्रिया के लिए कई अंडाणुओं की आवश्यकता होती है ताकि सफलता की संभावना बढ़ाई जा सके। यह प्रक्रिया लगभग 10-14 दिनों तक चलती है। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में यह प्रक्रिया अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा व्यक्तिगत निगरानी के साथ की जाती है।

2. अंडाणु निकालना (Egg Retrieval)

जब अंडाणु पूर्ण रूप से विकसित हो जाते हैं, तो उन्हें सुई की सहायता से महिला के अंडाशय से निकाला जाता है। यह एक मामूली शल्यक्रिया होती है जिसमें एनस्थीसिया का उपयोग किया जाता है। अंडाणु निकालने की यह प्रक्रिया केवल कुछ मिनटों में पूरी हो जाती है, और इसके बाद महिला को थोड़ी देर आराम करने की सलाह दी जाती है। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल के विशेषज्ञ इस प्रक्रिया को अत्यंत सावधानी और दक्षता के साथ अंजाम देते हैं।

3. निषेचन (Fertilization)

निकाले गए अंडाणुओं को प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणुओं के साथ मिलाया जाता है। कुछ मामलों में, इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक शुक्राणु को सीधे अंडाणु के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि निषेचन सफलतापूर्वक हो सके। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में उच्चतम मानकों के साथ यह प्रक्रिया संपन्न होती है।

4. भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer)

जब भ्रूण विकसित हो जाते हैं, तो उन्हें महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही संवेदनशील होती है और इसके लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। स्थानांतरण के बाद, महिला को लगभग 10-14 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है कि क्या गर्भावस्था स्थापित हो गई है या नहीं। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में यह प्रक्रिया पूरी संवेदनशीलता और धैर्य के साथ की जाती है।

5. गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test)

भ्रूण स्थानांतरण के लगभग 12-14 दिन बाद महिला का गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है। अगर परीक्षण सकारात्मक आता है, तो महिला को गर्भावस्था की शुरुआत मानी जाती है और आगे की देखभाल की जाती है।

आईवीएफ के प्रकार 

आईवीएफ की प्रक्रिया को कई प्रकारों में बांटा जा सकता है, जो मरीज की विशेष आवश्यकताओं और स्वास्थ्य स्थितियों पर आधारित होते हैं। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में निम्नलिखित प्रकार की आईवीएफ सेवाएं उपलब्ध हैं:

1 फ्रेश भूर्ण स्थानांतरण 

यह प्रक्रिया उसी साइकल में की जाती है जब अंडाणु निकाले जाते हैं और भ्रूण के लिए गर्भाशय उपयुक्त स्थिति में होता है। 

2  फ्रेश आईवीएफ (Fresh IVF)

इस प्रक्रिया में, ताजे अंडाणु और शुक्राणु का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार का आईवीएफ सामान्य रूप से तब उपयोग में लाया जाता है जब महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु स्वस्थ और उपयुक्त होते हैं।

4 फ्रोजन भ्रूण स्थानांतरण (Frozen Embryo Transfer - FET)

इसमें पहले से फ्रीज़ किए गए भ्रूणों का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया उन मामलों में उपयोगी होती है, जहां ताजे भ्रूण के उपयोग में कुछ चुनौतियाँ होती हैं, या जब पहले के आईवीएफ चक्र से शेष भ्रूण को पुन: उपयोग किया जाता है।

5 डोनर एग आईवीएफ (Donor Egg IVF)

जब महिला के अंडाणु उपयुक्त नहीं होते, तो डोनर अंडाणु का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है जिनके अंडाणु अपर्याप्त या अनुपलब्ध होते हैं।

6. डोनर स्पर्म आईवीएफ (Donor Sperm IVF)

जब पुरुष के शुक्राणु में कोई समस्या होती है, तो डोनर शुक्राणु का उपयोग किया जाता है। यह उन दंपतियों के लिए सहायक होता है, जो पुरुष बांझपन की समस्या का सामना कर रहे होते हैं।

7. कोखदान (Surrogacy)

इसमें एक अन्य महिला के गर्भाशय का उपयोग किया जाता है, जो गर्भ को नौ महीने तक धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब महिला स्वयं गर्भधारण करने में असमर्थ होती है।

8 TESA / TESE / PESA 

जब पुरुष का स्पर्म शरीर में बनता तो है परंतु नलियों में रुकावट की वजह से बाहर नहीं आ पाता तब यह प्रक्रिया सुई डालकर शरीर के अन्दर से शुक्राणु निकलने में काम आती है

आईवीएफ के लाभ

आईवीएफ के कई लाभ होते हैं, जो इसे बांझपन से जूझ रहे दंपतियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनाते हैं।

1. बांझपन पर काबू पाना (Overcoming Infertility)

आईवीएफ ,यानी की इन विट्रो फर्टिलाइजेशन उन दंपतियों के लिए वरदान है, जो बांझपन की समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। इस तकनीक के माध्यम से वे जैविक संतान प्राप्त कर सकते हैं। यह उन मामलों में भी सहायक होता है, जहां अन्य प्रजनन उपचार असफल हो जाते हैं। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में आईवीएफ का उपयोग व्यापक सेवाओं के साथ किया जाता है, ताकि बांझपन की समस्या का समाधान हो सके।

2. आनुवंशिक जांच (Genetic Screening)

आईवीएफ के दौरान प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) की मदद से भ्रूण के आनुवंशिक विकारों की जांच की जा सकती है। इससे सुनिश्चित होता है कि गर्भ में स्वस्थ भ्रूण विकसित हो। यह विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण होता है जिनमें आनुवंशिक बीमारियों का जोखिम होता है।

3. एकल पितृत्व / मातृत्व विकल्प (Single Parenthood Options)

आईवीएफ तकनीक ने एकल माता-पिता बनने के विकल्प को भी आसान बना दिया है। सिंगल महिलाएं या पुरुष इस तकनीक के माध्यम से संतान प्राप्त कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है, जो समाजिक या व्यक्तिगत कारणों से एकल पितृत्व / मातृत्व चुनते हैं। 

आईवीएफ की सफलता दर

आईवीएफ की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे महिला की आयु, बांझपन का कारण, और प्रयोगशाला की गुणवत्ता। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता की बदौलत सफलता दर अधिक होती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर मामले में सफलता की संभावना अलग-अलग होती है।

1. आयु का प्रभाव (Impact of Age)

महिला की आयु आईवीएफ की सफलता दर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कम आयु की महिलाओं में सफलता की संभावना अधिक होती है, जबकि 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सफलता दर कम हो जाती है।

2. बांझपन का कारण (Cause of Infertility)

आईवीएफ की सफलता दर बांझपन के कारण पर भी निर्भर करती है। यदि बांझपन का कारण स्पष्ट और उपचार योग्य है, तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

3. प्रयोगशाला की गुणवत्ता (Quality of Laboratory)

आईवीएफ प्रक्रिया के लिए प्रयोगशाला की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है। उच्च मानकों वाली प्रयोगशालाओं में सफलता की संभावना अधिक होती है। स्पर्श वुमन हॉस्पिटल में इस पहलू का विशेष ध्यान रखा जाता है। 

 

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