महिला रोगों की जांच और उपचार के लिए हिस्टेरोस्कॉपी

महिला रोगों की जांच और उपचार के लिए हिस्टेरोस्कॉपी

पिछले कुछ वर्षों में महिला निःसंतानता के केसेज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। समस्या की शुरूआत में महिलाएं पहले इग्नोर करती हैं लेकिन बढ़ने पर डाक्टर से कन्सल्ट करती हैं । कुछ सालों पहले स्त्री रोगों की स्थिति में डायग्नोज करने के लिए नवीनतम मशीनें उपलब्ध नहीं थी लेकिन आजकल महिला के विभिन्न अंगों की जांच व उपचार करने के लिए आधुनिक मशीनें व तकनीकें आ गयी हैं ।
इन दिनों चिकित्सकों द्वारा महिला निःसंतानता और अन्य समस्याओं में जांच और उपचार के लिए हिस्टेरोस्कॉपी का अधिक उपयोग किया जाता है।
हिस्टेरोस्कॉपी से न केवल गर्भाशय, अण्डाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच की जा सकती है बल्कि सफलतापूर्वक उपचार भी किया जा सकता है। महिला निःसंतानता के मामलों में इस तकनीक से आईवीएफ की सफलता में भी इजाफा किया जा सकता है।
हिस्टेरोस्कॉपी के अलावा लेप्रोस्कॉपी का उपयोग भी किया जाता है लेप्रोस्कॉपी एक सर्जिकल प्रोसेस है जिसमें डॉक्टर पेट में दो या तीन छोटे चीरे लगाते हैं और एक लेप्रोस्कोप के साथ विशेष सर्जिकल इक्युपमेंट अंदर डालते है। इस सर्जरी को लेप्रोस्कोप या दूरबीन के द्वारा किया जाता है। लाइट और कैमरे के साथ लेप्रोस्कोप जुडी हुई एक पतली फाइबर-ऑप्टिक ट्यूब होती है। यह आपके डॉक्टर को पेट के अंगों को देखने और समस्या का इलाज करने में मदद करती है।
वहीं बात करें हिस्टेरोस्कॉपी की तो ये जांच और उपचार की सटिक तकनीक है। हिस्ट्रोस्कॉपी से बार-बार गर्भपात व टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के असफल होने के कारणों का भी पता चल सकता है।
हिस्टेरोस्कॉपी एक तरह से इंडोस्कोपी प्रणाली है। यह बच्चेदानी की बीमारियों की पहचान और निदान में इस्तेमाल होती है। अभी आईवीएफ यानि टेस्ट ट्यूब बेबी प्रणाली में इसका इस्तेमाल अधिक होता है लेकिन, मुख्य रूप से इस तकनीक से बच्चेदानी से जुड़ी हर समस्या का बिना ऑपरेशन निदान किया जा सकता है। जैसे यूट्रस फायब्रायड, बच्चेदानी के अंदर बनने वाली झिल्ली को हटाने में, फैलोपिन ट्यूब से जुडी वैसी समस्याओं को दूर करने में इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या होता है हिस्टेरोस्कॉपी में - हिस्टेरोस्कॉपी यानी दूरबीन विधि से गर्भाशय की बीमारियों की बारिकी से जांच की जा सकती है। इसमें गर्भाशय की ट्यूब में किसी प्रकार की रुकावट, ट्यूमर आदि का आसानी से पता लगाया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया दूरबीन के जरिए होती है।
हिस्टेरोस्कॉपी नेचुरल ओरिफाइस ट्रासल्युमिनल एंडस्कोपिक सर्जरी है। इसमें कोई चीर फाड़ नहीं होती है। मरीज को दर्द से बचाने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दी जाती है। इससे गर्भाशय की बीमारी की पहचान के साथ-साथ बायोप्सी के लिए नमूने लेना भी संभव है। यह पूरा प्रोसीजर डे केयर है।

हिस्टेरोस्कोपी के प्रकार

  • पहली डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कॉपीः इसकी जरूरत निम्न स्थितियों में पड़ सकती है किसी महिला को बार-बार गर्भपात की समस्या हो
  • गर्भाशय में फाइब्रॉएड या पॉलीप्स जैसी समस्याओं के निदान के लिए,
  • निःसंतानता के कारण जानने के लिए पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण जानने के लिए असामान्य रक्तस्त्राव व माहवारी के निदान के लिए। ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कॉपी - इसका प्रयोग निम्न केसेज में किया जा सकता है।
  • सर्जरी या संक्रमण के बाद बने निशान हटाने के लिए
  • फाइब्रॉएड या गर्भाशय की आसामान्य वृद्धि को हटाने के लिए।
  • नसबंदी करने के लिए
  • बायोप्सी करने के लिए छोटा सा टिश्यु निकाल कर प्रयोगशाला में भेजने के लिए हिस्टेरोस्कॉपी का सफलता दर अधिक होने के कारण चिकित्सक इसको प्राथमिकता देते हैं। समय के साथ इसका उपयोग और भी बढ़ेगा।
For more information contact us @ info@sparshwomenhospital.com, +91-8698634445

Post Your Comment

LOADING.....