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फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण

महिलाओं में निःसंतानता का एक बड़ा कारण फैलोपियन ट्यूब में खराबी का होना व उसका बंद पाया जाना है। यह तब होती है, जब फैलोपीयन ट्यूब के क्षतिग्रस्त या बंद होने पर शुक्राणु महिला के. अंडाणु तक नहीं पहुंच पाता या निषेचित (फर्टिलाइज्ड) अंडाणु गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाता है। फैलोपीयन ट्यूब में रुकावट कई कारणों से आ सकती जिनमें प्रजनन अंगों के रोग से होने वाली ट्यूबल इनफर्टिलिटी की प्रतिशत दर सबसे अधिक है। इसमें लेप्रोस्कोपिक पद्धति से माइक्रो सर्जरी द्वारा ट्यूब के भीतर जमे टिश्यू की रुकावट को दूर किया जाता है लेकिन बड़े टिश्यू लेप्रोस्कापी से साफ नहीं होते हैं। ऐसे में आईवीएफ प्रक्रिया द्वारा ही मां बना जा सकता है। इससे वे महिलाएं भी मां बन सकती हैं, जिनकी फैलोपियन टयूब्स बिल्कुल बंद है।

ट्यूब बंद होने के कारण

पहले से किसी महिला की ट्यूब बंद नहीं होती। ट्यूब बंद होती है- संक्रमण, टीबी, फेलोपियन ट्यूव में जन्मजात विषमता, बार-बार गर्भपात होना, गर्भधारण को रोकने के लिए कई विकल्पों का इस्तेमाल करना आदि।

1-पेल्विक इन्फलेमेट्री डिसीज

यह महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाला सबसे गंभीर संक्रमण होता है। यह संक्रमण सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (एस.टी.डी) जैसे गोनोरिया, क्लेमाइडिया के कारण होता है, जिससे गर्भाशय तथा फेलोपीयन ट्यूब को नुकसान पहुंचता है। महिला प्रजनन अंगों को सर्विक्स (ग्रीवा) जीवाणुओं से बचाता है। एस.टी.डी होने पर सर्विक्स खुद भी संक्रमित हो जाता है जिससे उसके द्वारा अन्य अंगों तक संक्रमण फैलने से रोकने की क्षमता कम हो जाती है। धीरे-धीरे सर्विक्स से संक्रमण अन्य अंगों में फैल जाता है। पी.आई.डी. होने के अन्य कारण गर्भपात, शिशु जन्म में परेशानी तथा प्रजनन क्षमता में दिक्कत आती हैं।

2-एक्टोपिक प्रेग्नेंसी

किसी कारणवश अगर भ्रूण फैलोपीयन ट्यूब में ही रुक जाता है और वहीं बढ़ने लगता है तो इसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। इस स्थिति में महिला को पेट में दर्द व खून का रसाव जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रेग्नेंसी के कारण गर्भाशय व दोनों ट्यूबों में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है, जिसके कारण दोनों ट्यूबें खराब हो सकती हैं। अक्सर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को हटाया जाता है। इन महिलाओं को इस ऑपरेशन के बाद प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में भी समस्या आ सकती है।

3- पेल्विक ट्यूबरक्यूलोसिस

यह एक रोग है, जिसका पता महिलाओं को बांझपन की जांच के दौरान चलता है। यह एक बैक्टीरिया जनित संक्रमण से होने वाला रोग है, जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस (टी.बी.) के कारण होता है। आमतौर पर ट्यूबरक्यूलोसिस संक्रमण फेफड़ों में होता है। पर कुछ मामलों में ट्यूबरक्यूलोसिस प्रजनन अंगों सहित यह शरीर के अन्य अंगों में भी हो सकता है। इसके लक्षणों में मासिक चक्र में, परेशानी, प्रजनन अंगो में दर्द और खराब स्वास्थ्य हैं। टी.वी. के संक्रमण से अक्सर फैलोपीयन ट्यूब के रेशे खराब हो जाते हैं जिसके कारण अण्डे व शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता है तथा गर्भधारण में समस्या आती है।

4- सर्जरी

कई बार शरीर के नीचले हिस्से या प्रजनन अंगों में हुई सर्जरी जैसे लेप्रोस्कोपी, हिस्ट्रोस्कोपी, गर्भाशय की सफाई इत्यादि के दौरान संक्रमण फैलने से भी फैलोपीयन ट्यूब के रेशे खराब हो सकते हैं।

5. एंडोमेट्रिओसिस

भएंडोमेट्रिओसिस से पीड़ित महिलाओं में एंडोमेट्रिअल टिश्यू गर्भाशय के बाहर फैल जाते हैं। इससे माह में कई बार रक्तस्राव व मासिक धर्म के दौरान होने वाला रक्तस्त्राव भी सामान्य से अधिक हो सकता है तथा इसमें काफी दर्द भी होता है। इसके कारण भी संक्रमण फैल सकता है जो ट्यूब के रेशे खराब कर सकता है व कई परिस्थितियों में ट्यूब बंद भी हो सकती है।
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फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज और प्रेगनेंसी

फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होने के कारण शुक्राणु और अंडे का निषेचन नहीं हो पाता है। इस कारण से निषेचन की प्रक्रिया पर फ़र्क पड़ता है।

फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज की जांच और उपचार

HSG Test (एच एस जी टेस्ट) फैलोपियन ट्यूब में रूकावट की जाँच के लिए टेस्ट) एक प्रकार का x ray है जिस के द्वारा इसकी जांच करने में मदद मिल सकती है हालांकि इस में कई बार ठीक से जांच नहीं हो पाती और इस में महिला को दर्द भी हो सकता है।
यदि एक महिला गर्भधारण करने का प्रयास कर रही है, तो Laparoscopy के द्वारा न सिर्फ फैलोपियन ट्यूब रूकावट की जांच बल्कि उपचार भी संभव है।
यदि किसी कारण से Laparoscopy से भी ब्लॉकेज ना खुल पाएं तो महिला को IVF (आई वी एफ) करवाने के लिए सलाह दी जाती है क्यों की आईवीएफ तकनीक में फैलोपियन ट्यूब का खुला होना आवश्यक नहीं है ।
For more information contact us @ info@sparshwomenhospital.com, +91-8698634445

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